2011

सपनो मै तुमसे मुलाकात होगी
जिन सपनो पर हक था मेरा वो अब मेरे नहीं रहे
वो दिन और यह राते भी अब मेरे नहीं रहे ...
तुम बिन अब कुछ अच्छा नहीं लगता
सच कहूँ तो कुछ साचा नहीं लगता
तुम्हारे ख्याल से दिल खुश हो जाता है
पर हकीकत देखकर चुप हो जाता है
दिल मै बहुत सारे अरमान है किस से कहू
तुम्हारे बिन अब कैसे रहूँ
दूर जाकर तुम भी खुश नहीं हो
पर जिद्दी हो मानती नहीं हो
तुम चुप अच्छी नहीं लगती हो
खोलो अपना मुह और सब को चुप कर दो
खुद भी पागल हो जाओ
और मुझको भी पागल कर दो
सपने  भी  रूठे  है अपने भी छुटे है 
बैठा हूँ  वीरान सड़क पर
ना कोई रह देखती है मुझको 
किधर जाऊ मैं अब 
दीवारे सी  खड़ी है चारो तरफ 
ना कोई सुरक है ना कोई खिड़की 
देखू भी तो कैसे देखू मैं 
खामोश  बैठा हूँ एक कोने मैं 
इस इंतज़ार मैं की जिस 
आधी ने मेरा जीवन ऊजड किया है 
वो ही मेरा घर हरा भरा करेगी 
पर मैं अपना विश्वास लिए बैठा हूँ 
हाँ आज भी मैं तुम्हारे आस मैं बैठा हूँ 
जितना मैं हरता हूँ उतना ही फिर से खड़ा हो जाता हूँ 
तुमसे हारने या जीतने का सवाल नहीं है 
तुम बस खुश रहो और मेरी रहो 
यही चाहता हूँ 
यही चाहता हूँ 

अभिषेक भटनागर "हमराही "

दिल तो  है पर शायद अहसास मर चुके है
मन से मन की बात  अब हो भी कैसे
पहरे लगा रख के  है जुबान पर और
कानो को बंद किया हुआ है  की कुछ सुन ना ले
होठ बोलना चाहते है पर शायद ज़माने से डरते है
कब तक जी पओगी एन अंधारो मै तुम
मै भी देखना चाहता हूँ
तोड़ दो गी यह यह ज़ंजीर यह विश्वास रखता हूँ
हाँ तुम्हारे हर कदम की खबर रखता  हूँ
ठंडी ठंडी रातो मै जब याद मेरी आयेगी
सिमट जाऊगी मेरी यादो मै
नीद नहीं आएगी तुमको यकीं  है मुझको
चेहरा नज़र आएगा मेरा बार-२ 

तुम लाख कोहिश करो भूल ना पओगी ,
अरे मै वो हूँ जो तुम्हारी सासों मै रहता हूँ
और सासों से बैर कैसे कर पओगी

चुपी की यह  दीवार अब  तोड़ दो
और दिल के राज़ अब जुबान से बोल दो
तुमको और मुझको साथ -२ चलना है
हाथ थामो मेरा बाकि फिकर छोड़ दो

जब तुम साथ होती हो तो डर नहीं लगता ,
यह तूफान भी तूफान नहीं लगता
ज़रा सी बात पर रूठ बैठे है हमसे 
हम उनको मनाने की पुरजोर कोशिश किया करते है 

रूठना मानना चलता रहता है उम्र भर 
यह तो वो जज्बा है जो किसी किसी को नसीब होता है 

वो और होगे जो प्यार का दम भरा करते है
अरे हम तो वो है जो हर पल मैं प्यार किया करते है 
 
जानते है वो हमारे ही है 
इसलिए ही उनका इंतज़ार किया करते है ...
है उदास मन गर वतन मुश्किल मै है
सो रही सरकार या कहो गफलत मै है
कसाब ,अफजल या कोई और हो
मूख दर्शक बनकर देखते हम लाचर है
तोड़ दो यह बेड़ियाँ अब तो जबाब दो
हो गया बहुत कुछ अब तो हिसाब दो
अभिषेक भटनागर
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रास्ता अलग-अलग है पर मंजिल एक है
तुम मुझसे दुरी बना रही हो जनता हूँ मै
तुमको अच्छी तरह पहचानता हूँ मै
तुम ऐसी नहीं हो पर कुछ है जो रोकता है तुमको 
इस लिए अपने आप से दूर जा रही हो तुम
तुम जिन रास्तो पर चली हो वो शायद मेरी ही देन है
लौट आ ओ  उन रास्तो से मै वही हूँ जहाँ तुमने छोड़ा था
साथ मिलकर यह रास्ता पार करना होगा हमको
अकेले तुम भी कुछ नहीं और मै भी कुछ नहीं 
 
अभिषेक भटनागर
सीने मै दर्द पर होठो पर मुस्कान रहती है
ज़िन्दगी आज खुद से अनजान  सी रहती है
चाहा है मैने भी किसी को
सुना है वो आज कुछ परेशां सी रहती है
no image
कभी-कभी बहुत ही तन्हा पता हूँ
आस पास सब बिखरा हुआ पता हूँ
सारे सपने कांच की तरह टूट से गए है ,
अब उनको समेट कर नया संसार बनाना चाहता हूँ

मेरी मंजिल बहुत ही दूर है
पर उस को पास लाना चाहता हूँ
जो रूठ गए है उनको मानना चाहता हूँ
दिल से एक बार जीना चाहता हूँ
हाँ कभी-कभी बहुत ही तन्हा पता हूँ

अभिषेक भटनागर
कभी कभी सोचता हूँ की क्यों जी रहा हूँ मै
की ज़िन्दगी की रह मे हर कदम पर धोका मिला ,
जिसको अपना माना वो ही बेगाना हुआ ,
दोस्ती क नाम पर झालावा मिला है दोस्तों ,

कभी कभी सोचता हूँ की क्यों जी रहा हूँ मै
कोई कहता था मुजसे मुश्किलों क बाद जीत होती है ,
पर शायद जीत जैसा शब्द मेरी किताब मे था ही नहीं ,

कभी कभी सोचता हूँ की क्यों जी रहा हूँ मै
जो पाना चाहता हूँ वो मंजिल धूमिल सी लगती है ,
चारो तरफ अँधेरा सा महसूस करता हूँ ,
ना सो पता हूँ ना खा पता हूँ बेचैनी सी रहती है ,
क्या हुआ है मुझे मे खुद नहीं जनता हूँ ,पर

कभी कभी सोचता हूँ की क्यों जी रहा हूँ मै
कोई कहता था मुझसे की आदमी की पहचान बुरे वक़्त मे होती है ,
मै किसकी पहचान करू मै तो सबको बुरा लगता हूँ ,
जो कुछ समय पहले तक मेरी स्थिति मे थे ,
वे हमको सलाह देते है या कहो ताने मरते है , पर

कभी कभी सोचता हूँ की क्यों जी रहा हूँ मै
जो कल तक मुझसे सारी बात करते थे वो मुझसे आज छुपाते है ,
जानता हूँ उनकी भी कोई मज़बूरी रही होगी उनको भी डर लगता होगा ज़माने की डर से ,
वो हँसते है अपना गम बुलाकर और कहते है मुझसे की लोगो की बात पर ध्यान ना दिया कर ,
और ये शायद उनका ही साथ ही है जो आज तक जिंदा हूँ ,पर

कभी कभी सोचता हूँ की क्यों जी रहा हूँ मै
लोगो को समझ पाना शायद मेरे लिए मुश्किल था ,
या यूँ कहो की मुझको कोई समझना नहीं चाहता था ,
पर क्या करे दोस्त जीना तो पड़ता है ,
जो वादे अपने आप से किये है वो पुरे करने है , पर
कभी कभी सोचता हूँ की क्यों जी रहा हूँ मै
हाँ आज कल अकेला महसूस करता हूँ
अंधेरो से दोस्ती की है मैने ,
जो दम भर्ती थे साथ निभाने का वो भी चले गए है ,
रह गया अपनी छोटी सी जान लेकर इस जमाने मे ,
हाँ आज कल अकेला महसूस करता हूँ
बुरा मान गए मेरी एक छोटी सी बात का ,
पर वो ना कहता तो मार ही जाता शायद ,
हूँ इंतज़ार मे कुछ तो जबाब आएगा पर ,
हाँ आज कल अकेला महसूस करता हूँ
आज कुछ हसियत नहीं है मेरी ,
फिर भी असमान को चुने की हिम्मत रखता हूँ ,
है उम्मीद एक दिन अपनी मंजिल पा जाऊंगा पर,
हाँ आज कल अकेला महसूस करता हूँ
पता नहीं लिखने वाले ने क्या लिखा है किस्मत मे ,
कुछ सही नहीं होता या कहो सही से नहीं होता ,
शायद किस्मत को कोसने से कुछ नहीं होगा कमी मेरे अन्दर ही है पर
हाँ आज कल अकेला महसूस करता हूँ
अब तो सब छोड़ दिया भगवन बरोसे ,
उस ने ही यह दिन दिखाय है ,
वो ही कोई रास्ता देगा पर
हाँ आज कल अकेला महसूस करता हूँ
साथ चाहता हूँ उसका अगर मिल जाये ,
तो शायद मेरी दुनिया बदल जाये ,
पर शायद मेरी ऐसे किस्मत कहाँ ,
हाँ आज कल अकेला महसूस करता हूँ
देखते है कब तक इम्तान होगा हमारा ,
कभी ना कभी तो कोई नतीजा आएगा ,
रहेगा उस दिन का इंतज़ार पर
हाँ आज कल अकेला महसूस करता हूँ
गम तो इस बात का है की वो मज़बूरी बयां नहीं करती है ,
सह जाती है सब कुछ पर उफ़ भी नहीं करती है ,
गुस्सा भी करती है मुझ पर ,परेशां भी होती है ,
कोने मै जा कर सुबक-२ के रोटी भी है ,
ना जाने वो दिन कब आएगा जब वो इकरार करेगी ,
चुप के से ही सही पर प्यार का इजहार करेगी ,

ना जाने ये सिलसिला कब खत्म होगा ,
गम की श्याम के बाद ,ख़ुशी का उजाला कब होगा ,
ना जाने वो पल कब आएगा ,
बस जी रहा हूँ इस उम्मीद पर की वो पल आएगा ,आएगा
Dedicate to Mummy
                                                           माँ होती तो बात ही कुछ और होती
जब ऑफिस से घर आता हूँ
बहुत ही आकेला महसूस करता हूँ
पापा चाय बना रहे होते और कहते की "बेटा थक गया होगा आराम कर ले " पर
माँ होती तो बात ही कुछ और होती

थोड़ी सी खुशियाँ मिली जब तक साथ तुम्हारा था
पापा अगर कुछ कहते तो तुम मुजको बचाती ,
ना वो अब कुछ कहते और ना ही अब कोइ बचाने वाला है ,
माँ होती तो बात ही कुछ और होती

कुछ नहीं दे पाया तुमको सिर्फ कहता रह गया ,
खाली हो गए दोनों हाथ मेरे क्या मांगू अब उस से भगवन से ,
जो चाहा कभी नहीं मिला अब जीने की उम्मीद सिर्फ पापा है पर
माँ होती तो बात ही कुछ और होती

बहुत कुछ करना चाहता था पर शायद कर नहीं पाया ,
तुम जहाँ भी रहो बस मेरे साथ रहना ,
बहुत ही अकेला हो गया है तुम्हारा बेटा अब ,
कोई नहीं है अब जिस पर हक जाता सकु
माँ होती तो बात ही कुछ और होती
सुना है वो आजकल आइना नहीं देखती ,
हाँ अपने आप से भागना मुश्किल तो होता है

हमे परेशान करके खुद परेशान कितना है ,
सब कुछ जानकर भी अनजान कितना है ,
वो कहती है की मिल ना पाउगी मै तुम्हे ,
की सपनो की सचाई का जहाँ कितना है ,
मै कहता हूँ की जो सपने देखी मैने उन का हकीकत से नाता है ,
देखता हूँ की किस्मत मै इंतज़ार कितना है ,