July 2011
कभी कभी सोचता हूँ की क्यों जी रहा हूँ मै
की ज़िन्दगी की रह मे हर कदम पर धोका मिला ,
जिसको अपना माना वो ही बेगाना हुआ ,
दोस्ती क नाम पर झालावा मिला है दोस्तों ,

कभी कभी सोचता हूँ की क्यों जी रहा हूँ मै
कोई कहता था मुजसे मुश्किलों क बाद जीत होती है ,
पर शायद जीत जैसा शब्द मेरी किताब मे था ही नहीं ,

कभी कभी सोचता हूँ की क्यों जी रहा हूँ मै
जो पाना चाहता हूँ वो मंजिल धूमिल सी लगती है ,
चारो तरफ अँधेरा सा महसूस करता हूँ ,
ना सो पता हूँ ना खा पता हूँ बेचैनी सी रहती है ,
क्या हुआ है मुझे मे खुद नहीं जनता हूँ ,पर

कभी कभी सोचता हूँ की क्यों जी रहा हूँ मै
कोई कहता था मुझसे की आदमी की पहचान बुरे वक़्त मे होती है ,
मै किसकी पहचान करू मै तो सबको बुरा लगता हूँ ,
जो कुछ समय पहले तक मेरी स्थिति मे थे ,
वे हमको सलाह देते है या कहो ताने मरते है , पर

कभी कभी सोचता हूँ की क्यों जी रहा हूँ मै
जो कल तक मुझसे सारी बात करते थे वो मुझसे आज छुपाते है ,
जानता हूँ उनकी भी कोई मज़बूरी रही होगी उनको भी डर लगता होगा ज़माने की डर से ,
वो हँसते है अपना गम बुलाकर और कहते है मुझसे की लोगो की बात पर ध्यान ना दिया कर ,
और ये शायद उनका ही साथ ही है जो आज तक जिंदा हूँ ,पर

कभी कभी सोचता हूँ की क्यों जी रहा हूँ मै
लोगो को समझ पाना शायद मेरे लिए मुश्किल था ,
या यूँ कहो की मुझको कोई समझना नहीं चाहता था ,
पर क्या करे दोस्त जीना तो पड़ता है ,
जो वादे अपने आप से किये है वो पुरे करने है , पर
कभी कभी सोचता हूँ की क्यों जी रहा हूँ मै
हाँ आज कल अकेला महसूस करता हूँ
अंधेरो से दोस्ती की है मैने ,
जो दम भर्ती थे साथ निभाने का वो भी चले गए है ,
रह गया अपनी छोटी सी जान लेकर इस जमाने मे ,
हाँ आज कल अकेला महसूस करता हूँ
बुरा मान गए मेरी एक छोटी सी बात का ,
पर वो ना कहता तो मार ही जाता शायद ,
हूँ इंतज़ार मे कुछ तो जबाब आएगा पर ,
हाँ आज कल अकेला महसूस करता हूँ
आज कुछ हसियत नहीं है मेरी ,
फिर भी असमान को चुने की हिम्मत रखता हूँ ,
है उम्मीद एक दिन अपनी मंजिल पा जाऊंगा पर,
हाँ आज कल अकेला महसूस करता हूँ
पता नहीं लिखने वाले ने क्या लिखा है किस्मत मे ,
कुछ सही नहीं होता या कहो सही से नहीं होता ,
शायद किस्मत को कोसने से कुछ नहीं होगा कमी मेरे अन्दर ही है पर
हाँ आज कल अकेला महसूस करता हूँ
अब तो सब छोड़ दिया भगवन बरोसे ,
उस ने ही यह दिन दिखाय है ,
वो ही कोई रास्ता देगा पर
हाँ आज कल अकेला महसूस करता हूँ
साथ चाहता हूँ उसका अगर मिल जाये ,
तो शायद मेरी दुनिया बदल जाये ,
पर शायद मेरी ऐसे किस्मत कहाँ ,
हाँ आज कल अकेला महसूस करता हूँ
देखते है कब तक इम्तान होगा हमारा ,
कभी ना कभी तो कोई नतीजा आएगा ,
रहेगा उस दिन का इंतज़ार पर
हाँ आज कल अकेला महसूस करता हूँ
गम तो इस बात का है की वो मज़बूरी बयां नहीं करती है ,
सह जाती है सब कुछ पर उफ़ भी नहीं करती है ,
गुस्सा भी करती है मुझ पर ,परेशां भी होती है ,
कोने मै जा कर सुबक-२ के रोटी भी है ,
ना जाने वो दिन कब आएगा जब वो इकरार करेगी ,
चुप के से ही सही पर प्यार का इजहार करेगी ,

ना जाने ये सिलसिला कब खत्म होगा ,
गम की श्याम के बाद ,ख़ुशी का उजाला कब होगा ,
ना जाने वो पल कब आएगा ,
बस जी रहा हूँ इस उम्मीद पर की वो पल आएगा ,आएगा
Dedicate to Mummy
                                                           माँ होती तो बात ही कुछ और होती
जब ऑफिस से घर आता हूँ
बहुत ही आकेला महसूस करता हूँ
पापा चाय बना रहे होते और कहते की "बेटा थक गया होगा आराम कर ले " पर
माँ होती तो बात ही कुछ और होती

थोड़ी सी खुशियाँ मिली जब तक साथ तुम्हारा था
पापा अगर कुछ कहते तो तुम मुजको बचाती ,
ना वो अब कुछ कहते और ना ही अब कोइ बचाने वाला है ,
माँ होती तो बात ही कुछ और होती

कुछ नहीं दे पाया तुमको सिर्फ कहता रह गया ,
खाली हो गए दोनों हाथ मेरे क्या मांगू अब उस से भगवन से ,
जो चाहा कभी नहीं मिला अब जीने की उम्मीद सिर्फ पापा है पर
माँ होती तो बात ही कुछ और होती

बहुत कुछ करना चाहता था पर शायद कर नहीं पाया ,
तुम जहाँ भी रहो बस मेरे साथ रहना ,
बहुत ही अकेला हो गया है तुम्हारा बेटा अब ,
कोई नहीं है अब जिस पर हक जाता सकु
माँ होती तो बात ही कुछ और होती
सुना है वो आजकल आइना नहीं देखती ,
हाँ अपने आप से भागना मुश्किल तो होता है

हमे परेशान करके खुद परेशान कितना है ,
सब कुछ जानकर भी अनजान कितना है ,
वो कहती है की मिल ना पाउगी मै तुम्हे ,
की सपनो की सचाई का जहाँ कितना है ,
मै कहता हूँ की जो सपने देखी मैने उन का हकीकत से नाता है ,
देखता हूँ की किस्मत मै इंतज़ार कितना है ,