September 2012
ऐ दोस्त मेरी चुपी को अभी जीत ना समझ 
तुफानो को देर कितनी लगती है आने मे 

यूँ बोल कर मे तेरा बुरा बन गया पर ना बोलता अपनी आखों मे गिर जाता 
तुने भी दम भरा था दोस्ती का जो मेरे एक लब्ज़ बोलने के बाद सारा निकल गया 

सब से दूर होकर तुम्हे कुछ ना हासिल होगा यह तुम भी जानती हो 
मेरी कमी है तुम्हारे दिल मे कही ना कही यह भी मानती हो 

ऐ दोस्त मेरी चुपी को अभी जीत ना समझ 
तुफानो को देर कितनी लगती है आने मे  

अभिषेक भटनागर