यूँ तो हज़ार मिलते है ज़िन्दगी की रह मे हर रोज़,
पर वो एक ही है जिस पर आखें थम सी जाती है
जिनको को मिलकर अजनबी सा महसूस नहीं होता
ऐसे ही होते है वो लोग जो दुनिया की भीड़ मिलते है
और आगे का रास्ता खुशनुमा बना देते है
कहते है कुछ लोग सपनो की
आकिर्ति का वास्तविता से नाता नहीं होता
अरे मै कहता हूँ की दिल की गहराईयों से सोचो तो ज़रा
कोई भी काम ऐसा नहीं होता जो पूरा नहीं होता
अभिषेक भटनागर
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पर वो एक ही है जिस पर आखें थम सी जाती है
जिनको को मिलकर अजनबी सा महसूस नहीं होता
ऐसे ही होते है वो लोग जो दुनिया की भीड़ मिलते है
और आगे का रास्ता खुशनुमा बना देते है
कहते है कुछ लोग सपनो की
आकिर्ति का वास्तविता से नाता नहीं होता
अरे मै कहता हूँ की दिल की गहराईयों से सोचो तो ज़रा
कोई भी काम ऐसा नहीं होता जो पूरा नहीं होता
अभिषेक भटनागर
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