February 2013
फिर वक़्त वही ले आया है 
जिस मोड़ से चले थे हम ,
तुम भी चले हम भी चले 
पर मजिल तक कोई न पंहुचा
आओ साथ मिलकर पूरा करे यह सफ़र 
न तुम हरो न हम हारे
जुदा हो मुझसे फिर भी कुछ है 
जो जोड़ता है मुझसे 
प्यार न सही नफरत ही सही 
पर राबता रखते हो मुजसे 
यूँ चुप-२ के आना छोड़ दो
बहुत हुआ अब सताना छोड़ दो 


अभिषेक भटनागर
मुरादाबाद

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ना जाने मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है
जिसे भी चाहता हूँ वो ही नज़रो से दूर होता है
सब के गमो मे साथ दिया मैने
अंधेरो को उजालो मे बदल दिया मैने
डरी सहमी सी तुम सहारा दिया मैने
इम्तिहान तुम्हारा था चिंतन किया मैने
बहुत कुछ खोकर तुमको पाया है मैने
प्यार क्या होता है यह तुमसे सीका है मैने
ना जाओ इतना दूर की तुमको लोटना मुश्किल हो जाये
और इतना दर्द मत सहो की जीना मुश्किल हो जाये


अभिषेक भटनागर ‘मुरादाबादी’

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