August 2011
सीने मै दर्द पर होठो पर मुस्कान रहती है
ज़िन्दगी आज खुद से अनजान सी रहती है
चाहा है मैने भी किसी को
सुना है वो आज कुछ परेशां सी रहती है
ज़िन्दगी आज खुद से अनजान सी रहती है
चाहा है मैने भी किसी को
सुना है वो आज कुछ परेशां सी रहती है
कभी-कभी बहुत ही तन्हा पता हूँ
आस पास सब बिखरा हुआ पता हूँ
सारे सपने कांच की तरह टूट से गए है ,
अब उनको समेट कर नया संसार बनाना चाहता हूँ
मेरी मंजिल बहुत ही दूर है
पर उस को पास लाना चाहता हूँ
जो रूठ गए है उनको मानना चाहता हूँ
दिल से एक बार जीना चाहता हूँ
हाँ कभी-कभी बहुत ही तन्हा पता हूँ
अभिषेक भटनागर
आस पास सब बिखरा हुआ पता हूँ
सारे सपने कांच की तरह टूट से गए है ,
अब उनको समेट कर नया संसार बनाना चाहता हूँ
मेरी मंजिल बहुत ही दूर है
पर उस को पास लाना चाहता हूँ
जो रूठ गए है उनको मानना चाहता हूँ
दिल से एक बार जीना चाहता हूँ
हाँ कभी-कभी बहुत ही तन्हा पता हूँ
अभिषेक भटनागर
वो भी खामोश है हम भी खामोश रहते है ,
सिर्फ ख़ामोशी बात करती है
ना जाने यह वक़्त कब खत्म होगा
फिर जीवन मै बहार आएगी
सिर्फ ख़ामोशी बात करती है
ना जाने यह वक़्त कब खत्म होगा
फिर जीवन मै बहार आएगी
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