July 2015
__JUPITER IN DIFFERENT HOUSES




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JUPITER IN 1st House:-
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Destroys all malefic effects, respected, interested in occult subjects, long life, expenditure on tourism, proficient, clear in thoughts, handsome, happy, wealthy, polite, soft spoken, sons, religious, loves justice, high status, happiness from son, devotee of god, enjoys prosperity since childhood, good deeds, salvation, high status in government if Jupiter has directional strength, enjoys good food, knowledge of Vedas, lucky at the age of 16, fortunate at the age of 26.
If with Mars - financial gains. If in Sagittarius sign or with malefics - gambler, speculator, priggish. If in Pisces sign -highly educated, progeny, polite. If in Aries or Leo sign - self pride. If in Taurus, Virgo or Capricorn sign - selfish. If in Scorpio or Pisces sign - joyful, pleasure - seeker, extravagant. If debilitated or under influence of malefics - wicked, separation from family, number of enemies, medium life. If in own or friendly sign - long life, happy, honour, and sons. If with Saturn or aspected by Saturn - philosopher, mental torture, religious. If exalted - salvation, multi - millionaire. If Saturn is in 7th house - gastric problems, neurological problems. If with Ketu - comforts like kings.
In female horoscope - long life, progressive, high respect, intellectual, wise, religious, serious nature, prosperous, chastity, always speaks truth, very beautiful, handsome body, important among females, successful in politics, comforts of queen, member of parliament / legislature assembly, leader among women, beloved of husband.
रुद्राभिषेक करने की तिथियां
कृष्णपक्ष की प्रतिपदा, चतुर्थी, पंचमी, अष्टमी, एकादशी, द्वादशी, अमावस्या, शुक्लपक्ष की द्वितीया, पंचमी, षष्ठी, नवमी, द्वादशी, त्रयोदशी तिथियों में अभिषेक करने से सुख-समृद्धि संतान प्राप्ति एवं ऐश्वर्य प्राप्त होता है।
कालसर्प योग, गृहकलेश, व्यापार में नुकसान, शिक्षा में रुकावट सभी कार्यो की बाधाओं को दूर करने के लिए रुद्राभिषेक आपके अभीष्ट सिद्धि के लिए फलदायक है।
किसी कामना से किए जाने वाले रुद्राभिषेक में शिव-वास का विचार करने पर अनुष्ठान अवश्य सफल होता है और मनोवांछित फल प्राप्त होता है।
प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी, अमावस्या तथा शुक्लपक्ष की द्वितीया व नवमी के दिन भगवान शिव माता गौरी के साथ होते हैं, इस तिथि में रुद्राभिषेक करने से सुख-समृद्धि उपलब्ध होती है।
कृष्णपक्ष की चतुर्थी, एकादशी तथा शुक्लपक्ष की पंचमी व द्वादशी तिथियों में भगवान शंकर कैलाश पर्वत पर होते हैं और उनकी अनुकंपा से परिवार में आनंद-मंगल होता है।
कृष्णपक्ष की पंचमी, द्वादशी तथा शुक्लपक्ष की षष्ठी व त्रयोदशी तिथियों में महादेव नंदी पर सवार होकर संपूर्ण विश्व में भ्रमण करते है। अत: इन तिथियों में रुद्राभिषेक करने पर अभीष्ट सिद्ध होता है।
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                                   रुद्राभिषेक --------

सर्वशक्तिमान परम पिता परमात्मा एक है परंतु उसके रूप अनेक हैं। भगवान शिव की शक्ति अपरम्पार है, वह सदा ही कल्याण करते हैं। वह विभिन्न रूपों में संसार का संचालन करते हैं। सच्चिदानंद शिव एक हैं, वह गुणातीत हैं और गुणमय हैं। एक ओर जहां ब्रह्म रूप में वह सृष्टि की उत्पत्ति करते हैं, वहीं विष्णु रूप में सृष्टि का पालन करते हैं तथा शिव रूप में वह सृष्टि का संहार भी करते हैं। भक्तजन अपनी किसी भी मनोकामना की पूर्ति के लिए भगवान शिव की उपासना करते हैं तथा शिवलिंग का पूजन करते हैं। शिवलिंग भगवान का रुद्ररूप है जिसका विभिन्न वस्तुओं से अभिषेक किया जाता है। शास्त्रानुसार रुद्राभिषेक करने से प्रभु बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं तथा अपने भक्त की सभी मनोकामनाएं भी सहज ही पूरी कर देते हैं।
कैसे करें रुद्राभिषेक : वैसे तो भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अक्सर लोग जल में दूध मिलाकर कच्ची लस्सी और गंगाजल से रुद्राभिषेक करते हैं परंतु घी, तेल, सरसों का तेल, गन्ने के रस और शहद से विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अभिषेक किया जाता है जबकि दही से शिव जी का पूजन किया जाता है। शिव पुराण की रुद्र संहिता के अनुसार जो व्यक्ति तुलसी दल और कमल के सफेद फूलों से भगवान शिव की पूजा करते हैं, उन्हें भोग एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। रुद्राभिषेक भी निश्चित अवधि में तथा संबंधित मंत्रोच्चारण के साथ किया जाता है।
जानें क्या पुण्य फल मिलता है विभिन्न वस्तुओं में रुद्राभिषेक करने का
पंचामृत : पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करने पर हर प्रकार के कष्टों का निवारण होता है।
दूध : गाय के दूध से रुद्राभिषेक करने से मनुष्य को यश और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है तथा घर में खुशहाली आती है। घर से हर प्रकार के कलह एवं कलेश दूर होते हैं।
गंगाजल : भगवान शंकर को गंगा जल परम प्रिय है, इसी कारण गंगा को भगवान शिव ने अपनी जटाओं में धारण कर रखा है।
देसी घी : गाय के शुद्ध देसी घी से अभिषेक करने पर मनुष्य दीर्घायु को प्राप्त करता है तथा वंश की वृद्धि होती है।
गन्ने का रस : गन्ने के रस से अभिषेक करने पर घर में लक्ष्मी का सदा वास रहता है तथा किसी वस्तु की कभी कोई कमी नहीं रहती।
सरसों का तेल : सरसों के तेल के साथ रुद्राभिषेक करने पर शत्रुओं का नाश होता है तथा स्वयं को हर क्षेत्र में विजय की प्राप्ति होती है।
सुगंधित तेल : यह चढ़ाने से भोगों की प्राप्ति होती है।
शहद : शहद से अभिषेक करने पर हर प्रकार के रोगों का निवारण होता है तथा यदि पहले ही कोई रोग लगा हो तो उससे छुटकारा भी मिलता है।
मक्खन : मक्खन से अभिषेक करने पर अति उत्तम संतान सुख की प्राप्ति होती है।
धतूरा : धतूरे के एक लाख फूलों से निरंतर अभिषेक करने पर शुभ फल की प्राप्ति होती है परंतु लाल डंठल वाले धतूरे से पूजन करना अति उत्तम माना गया है तथा संतान सुख मिलता है।
बेल पत्र : घर में सुख समृद्धि के लिए सावन के महीने में बेल पत्र से पूजन करना चाहिए तथा जिन्हें पत्नी सुख की प्राप्ति मे बाधाएं आती हों, उन्हें 40 दिन तक निरंतर भक्ति भाव से बेल पत्र से भगवान का अभिषेक करना चाहिए अथवा एक दिन 108 बेलपत्र ओम नमो शिवाय मंत्र के उच्चारण के साथ चढ़ाए जाने चाहिएं।

 रत्न और ग्रह 



1) माणिक = सूर्य को शक्तिशाली बनाने में माणिक्य का महत्व है। कम से कम 3 रत्ती के माणिक को सोने की अंगूठी में, अनामिका अंगुली में रविवार के दिन पुष्य योग में धारण करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है ।
2) मोती = चन्द्रमा को शक्तिशाली बनाने में मोती का विशेष महत्व है। इसे 2, 4 या 6 रत्ती की चांदी की अंगूठी में शुक्ल-पक्ष सोमवार को रोहिणी नक्षत्र में धारण करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है
3) मुगां = मंगल को शक्तिशाली बनाने में मूंगे का बहुत महत्व है। इसे सोने की अंगूठी में 5 रत्ती से बड़ा, मंगलवार को अनुराधा नक्षत्र में सूर्योदय से 1 घंटे बाद तक धारण करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
4) पन्ना = बुध ग्रह का प्रधान रत्न माना जाता है पन्ना, समान्यता पांच रंगों में पाया जाता है। मयूर पंख के रंग वाला पन्ना श्रेष्ठ माना जाता है, लेकिन यह पारदर्शी और चमकीला होना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कम से कम 6 रत्ती वजन का पन्ना सबसे छोटी उंगली में सोने या प्लेटिनम की अंगूठी में बुधवार को प्रात:काल उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में धारण करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
8 and 8: This pairing might be known as the "Dynamic Duo" as this is a combination that is full of passion and romance. Indeed, this pairing is a strong and enduring match- up. Yet both partners will be easily distracted by the events in their life as goals and professional demands often supersede romantic possibilities. Solid as the relationship probably is, the couple may have a hard time communicating the depth of feeling in either word or deed. Guard against competing with one another, and getting caught up in schedules and the demands of work. Make time for each other and always focus on being equal partners.
_: This is one situation in which no one understands the eccentricities of a 7 nearly as well as another 7. Thus, this is a very compatible pairing. With the right attitude, this couple will find the interest to freely explore the world together, or spend their days in happy solitude together. Chances are you are on the same psychic wavelength, so you will surely catch the signals as they flash by. The downside of this pairing is the tendency to not communicate, so an effort may have to be made to keep the lines open and operating.