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                                   रुद्राभिषेक --------

सर्वशक्तिमान परम पिता परमात्मा एक है परंतु उसके रूप अनेक हैं। भगवान शिव की शक्ति अपरम्पार है, वह सदा ही कल्याण करते हैं। वह विभिन्न रूपों में संसार का संचालन करते हैं। सच्चिदानंद शिव एक हैं, वह गुणातीत हैं और गुणमय हैं। एक ओर जहां ब्रह्म रूप में वह सृष्टि की उत्पत्ति करते हैं, वहीं विष्णु रूप में सृष्टि का पालन करते हैं तथा शिव रूप में वह सृष्टि का संहार भी करते हैं। भक्तजन अपनी किसी भी मनोकामना की पूर्ति के लिए भगवान शिव की उपासना करते हैं तथा शिवलिंग का पूजन करते हैं। शिवलिंग भगवान का रुद्ररूप है जिसका विभिन्न वस्तुओं से अभिषेक किया जाता है। शास्त्रानुसार रुद्राभिषेक करने से प्रभु बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं तथा अपने भक्त की सभी मनोकामनाएं भी सहज ही पूरी कर देते हैं।
कैसे करें रुद्राभिषेक : वैसे तो भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अक्सर लोग जल में दूध मिलाकर कच्ची लस्सी और गंगाजल से रुद्राभिषेक करते हैं परंतु घी, तेल, सरसों का तेल, गन्ने के रस और शहद से विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अभिषेक किया जाता है जबकि दही से शिव जी का पूजन किया जाता है। शिव पुराण की रुद्र संहिता के अनुसार जो व्यक्ति तुलसी दल और कमल के सफेद फूलों से भगवान शिव की पूजा करते हैं, उन्हें भोग एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। रुद्राभिषेक भी निश्चित अवधि में तथा संबंधित मंत्रोच्चारण के साथ किया जाता है।
जानें क्या पुण्य फल मिलता है विभिन्न वस्तुओं में रुद्राभिषेक करने का
पंचामृत : पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करने पर हर प्रकार के कष्टों का निवारण होता है।
दूध : गाय के दूध से रुद्राभिषेक करने से मनुष्य को यश और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है तथा घर में खुशहाली आती है। घर से हर प्रकार के कलह एवं कलेश दूर होते हैं।
गंगाजल : भगवान शंकर को गंगा जल परम प्रिय है, इसी कारण गंगा को भगवान शिव ने अपनी जटाओं में धारण कर रखा है।
देसी घी : गाय के शुद्ध देसी घी से अभिषेक करने पर मनुष्य दीर्घायु को प्राप्त करता है तथा वंश की वृद्धि होती है।
गन्ने का रस : गन्ने के रस से अभिषेक करने पर घर में लक्ष्मी का सदा वास रहता है तथा किसी वस्तु की कभी कोई कमी नहीं रहती।
सरसों का तेल : सरसों के तेल के साथ रुद्राभिषेक करने पर शत्रुओं का नाश होता है तथा स्वयं को हर क्षेत्र में विजय की प्राप्ति होती है।
सुगंधित तेल : यह चढ़ाने से भोगों की प्राप्ति होती है।
शहद : शहद से अभिषेक करने पर हर प्रकार के रोगों का निवारण होता है तथा यदि पहले ही कोई रोग लगा हो तो उससे छुटकारा भी मिलता है।
मक्खन : मक्खन से अभिषेक करने पर अति उत्तम संतान सुख की प्राप्ति होती है।
धतूरा : धतूरे के एक लाख फूलों से निरंतर अभिषेक करने पर शुभ फल की प्राप्ति होती है परंतु लाल डंठल वाले धतूरे से पूजन करना अति उत्तम माना गया है तथा संतान सुख मिलता है।
बेल पत्र : घर में सुख समृद्धि के लिए सावन के महीने में बेल पत्र से पूजन करना चाहिए तथा जिन्हें पत्नी सुख की प्राप्ति मे बाधाएं आती हों, उन्हें 40 दिन तक निरंतर भक्ति भाव से बेल पत्र से भगवान का अभिषेक करना चाहिए अथवा एक दिन 108 बेलपत्र ओम नमो शिवाय मंत्र के उच्चारण के साथ चढ़ाए जाने चाहिएं।

चमेली के फूल : चमेली के फूलों से पूजन पर वाहन सुख की प्राप्ति होती है।
कमल पुष्प और शंख पुष्प : इन फूलों से भगवान का पूजन करने वालों को लक्ष्मी यानि धन दौलत की प्राप्ति होती है। भगवान को नीलकमल और लाल कमल अतिप्रिय है। इसके अतिरिक्त जल एवं स्थल पर उत्पन्न होने वाले सभी सुगंधित फूलों से भगवान शिव का पूजन किया जा सकता है।
करवीर और दुपहरिया पुष्प : करवीर के फूलों से पूजन करने पर रोग मिट जाते हैं तथा दुपहरिया यानि बंधूक के पुष्पों से प्रभु का पूजन करने से आभूषणों की प्राप्ति होती है।
हरसिंगार के फूल : भगवान शिव का पूजन करने पर घर में सुख सम्पत्ति की प्राप्ति होती है।
गेहूं के पकवान : गेहूं के पकवानों से भगवान का पूजन करने पर उत्तम फल की प्राप्ति होती है तथा वंश की वृद्धि होती है।
शिव भगवान का पूजन एवं अभिषेक करना सभी के लिए सर्वश्रेष्ठ है। भोले बाबा इतने अधिक कृपालु हैं कि वह अपने भक्त द्वारा भोले भाव से चढ़ाए गए केवल जलमात्र से भी प्रसन्न होकर कृपा कर देते हैं परंतु जो भक्त रुद्राभिषेक करते समय महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं वह विशेष कृपा के पात्र बनते हैं इसलिए उक्त मंत्र के उच्चारण के साथ ही रुद्राभिषेक करना चाहिए।
||रुद्राभिषेक के लाभ ||
ज्योतिष शास्त्रानुसार जन्मकुंडली में किसी जातक के किसी ग्रह की महादशा तथा अंतरदशा का सदा ही महत्व रहता है क्योंकि इनके अनिष्टकारक योग होने पर भगवान शिव की उपासना तथा रुद्राभिषेक करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। भगवान शंकर को अभिषेक अतिप्रिय है अत: अभिषेकात्मक अनुष्ठान सदाशिव की आराधना एवं स्तुति में विशेष प्रशस्त माना जाता है।
वैसे तो रुद्रभिषेक के बहुत सारे लाभ हैं । जिनमे कुछ निम्न प्रकार से हैं
1. भगवान शिव चंद्रमा को अपने सिर पर धारण करते हैं । चंद्रमा ज्योतिष मे मन का कारक है । किसी भी प्रकार के मानसिक समस्या को दूर करने मे रुद्रभिषेक सहायक सिद्ध होता है। चंद्रमा को जब क्षय रोग हुआ था तो सप्तऋषि ने रुद्रभिषेक किया था । चंद्रमा के पीड़ित होने से क्षय रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। यह ज्योतिषीय नियम है की कुंडली मे अगर चंद्रमा पाप गृह से पीड़ित हो तो क्षय रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। अगर कोई इस प्रकार की बीमारी से पीड़ित है तो रुद्राभिषेक करवाना लाभप्रद होता है।
2. गंभीर किस्म के बीमारियों को दूर करने हेतु एवं उनके होने से बचने हेतु रुद्रभिषेक करवाना लाभप्रद होता है।
3. कुंडली मे मौजूद ग्रह अगर मारक प्रभाव दिखा रहे हों तो उनके दुष्प्रभाव को दूर करने हेतु रुद्रभिषेक करना लाभदायक होता है
4. घर का कोई व्यक्ति नकारात्मक बाते करने लगा हो। घर की शांति मे बाधा आ रही हो । आस पड़ोस के लोगो से झगड़ा निरंतर चल रही हो ।
5. मुकदमे मे विजय प्राप्ति हेतु
6. धन की प्राप्ति हेतु। स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति हेतु
7. अकाल मृत्यु से बचने हेतु। दुर्घटना से बचने हेतु
8. शत्रु से छुटकारा पाने हेतु। शत्रु से शत्रुता नष्ट हो जाएगी।
9. घरेलू समस्या से छुटकारा हेतु। एवं घर मे शांति हेतु
10. नशे से मुक्ति एवं माता का स्वस्थ्य संबंधी समस्या एवं उनके साथ हो रहे मनमुटाव दूर करने के लिए रुद्रभिषेक करना रामबाण साबित होगा।
11. धरती पर शिवलिंग को शिव का साक्षात स्वरूप माना जाता है तभी तो शिवलिंग के दर्शन को स्वयं महादेव का दर्शन माना जाता है और इसी मान्यता के चलते भक्त शिवलिंग को मंदिरों में और घरों में स्थापित कर उसकी पूजा अर्चना करते हैं. यू को भोले भंडारी एक छोटी सी पूजा से हो जाते हैं प्रसन्न लेकिन शिव आराधना की सबसे महत्वपूर्ण पूजा विधि रूद्राभिषेक को माना जाता है. रूद्राभिषेक... क्योंकि मान्यता है कि जल की धारा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और उसी से हुई है रूद्रभिषेक की उत्पत्ति. रूद्र यानी भगवान शिव और अभिषेक का अर्थ होता है स्नान करना. शुद्ध जल या फिर गंगाजल से महादेव के अभिषेक की विधि सदियों पुरानी है क्योंकि मान्यता है कि भोलभंडारी भाव के भूखे हैं. वह जल के स्पर्श मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं. वो पूजा विधि जिससे भक्तों को उनका वरदान ही नहीं मिलता बल्कि हर दर्द हर तकलीफ से छुटकारा भी मिल जाता है.
12. साधारण रूप से भगवान शिव का अभिषेक जल या गंगाजल से होता है परंतु विशेष अवसर व विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए दूध, दही, घी, शहद, चने की दाल, सरसों तेल, काले तिल, आदि कई सामग्रियों से महादेव के अभिषेक की विधि प्रचिलत है. तो कैसे महादेव का अभिषेक कर आप उनका आशीर्वाद पाएं उससे पहले ये जानना बहुत जरूरी है कि किस सामग्री से किया गया अभिषेक आपकी कौन सी मनोकामनाओं को पूरा कर सकता है साथ ही रूद्राभिषेक को करने का सही विधि-विधान क्या हो क्योंकि मान्यता है कि अभिषेक के दौरान पूजन विधि के साथ-साथ मंत्रों का जाप भी बेहद आवश्यक माना गया है फिर महामृत्युंजय मंत्र का जाप हो, गायत्री मंत्र हो या फिर भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र.
रुद्रभिषेक कैसे करें
रुद्राभिषेक के विभिन्न पूजन के लाभ इस प्रकार हैं :-
जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।
असाध्य रोगों को शांत करने के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें।
भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें।
लक्ष्मी प्राप्ति के लिये गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।
धन-वृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें।
तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है ।
पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें।
रुद्राभिषेक से योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है।
ज्वर की शांति हेतु शीतल जल/गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।
सहस्रनाम-मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।
प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जाती है।
शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने पर जडबुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।
सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है।
शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है।
पातकों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें।
गो दुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।
पुत्र की कामनावाले व्यक्ति शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक करें।
अभिषेक साधारण रूप से जल से ही होता है। परन्तु विशेष अवसर पर या सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि आदि पर्व के दिनों मंत्र गोदुग्ध या अन्य दूध मिला कर अथवा केवल दूध से भी अभिषेक किया जाता है। विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग।-अलग अथवा सब को मिला कर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है। तंत्रों में रोग निवारण हेतु अन्य विभिन्न वस्तुओं से भी अभिषेक करने का विधान है।
1) जल से अभिषेक
- हर तरह के दुखों से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव का जल से अभिषेक करें
- भगवान शिव के बाल स्वरूप का मानसिक ध्यान करें
- ताम्बे के पात्र में 'शुद्ध जल' भर कर पात्र पर कुमकुम का तिलक करें
- ॐ इन्द्राय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
- पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय" का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें
- शिवलिंग पर जल की पतली धार बनाते हुए रुद्राभिषेक करें
- अभिषेक करेत हुए ॐ तं त्रिलोकीनाथाय स्वाहा मंत्र का जाप करें
- शिवलिंग को वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें
2) दूध से अभिषेक
- शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए दूध से अभिषेक करें
- भगवान शिव के 'प्रकाशमय' स्वरूप का मानसिक ध्यान करें
- ताम्बे के पात्र में 'दूध' भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें
- ॐ श्री कामधेनवे नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
- पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय' का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें
- शिवलिंग पर दूध की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें.
- अभिषेक करते हुए ॐ सकल लोकैक गुरुर्वै नम: मंत्र का जाप करें
- शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें
3) फलों का रस
- अखंड धन लाभ व हर तरह के कर्ज से मुक्ति के लिए भगवान शिव का फलों के रस से अभिषेक करें
- भगवान शिव के 'नील कंठ' स्वरूप का मानसिक ध्यान करें
- ताम्बे के पात्र में 'गन्ने का रस' भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें
- ॐ कुबेराय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
- पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें
- शिवलिंग पर फलों का रस की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें
- अभिषेक करते हुए -ॐ ह्रुं नीलकंठाय स्वाहा मंत्र का जाप करें
- शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें
4) सरसों के तेल से अभिषेक
- ग्रहबाधा नाश हेतु भगवान शिव का सरसों के तेल से अभिषेक करें
- भगवान शिव के 'प्रलयंकर' स्वरुप का मानसिक ध्यान करें
- ताम्बे के पात्र में 'सरसों का तेल' भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें
- ॐ भं भैरवाय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
- पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय" का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें
- शिवलिंग पर सरसों के तेल की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें.
- अभिषेक करते हुए ॐ नाथ नाथाय नाथाय स्वाहा मंत्र का जाप करें
- शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें
5) चने की दाल
- किसी भी शुभ कार्य के आरंभ होने व कार्य में उन्नति के लिए भगवान शिव का चने की दाल से अभिषेक करें
- भगवान शिव के 'समाधी स्थित' स्वरुप का मानसिक ध्यान करें
- ताम्बे के पात्र में 'चने की दाल' भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें
- ॐ यक्षनाथाय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
- पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें
- शिवलिंग पर चने की दाल की धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें
- अभिषेक करेत हुए -ॐ शं शम्भवाय नम: मंत्र का जाप करें
- शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें
6) काले तिल से अभिषेक
- तंत्र बाधा नाश हेतु व बुरी नजर से बचाव के लिए काले तिल से अभिषेक करें
- भगवान शिव के 'नीलवर्ण' स्वरुप का मानसिक ध्यान करें
- ताम्बे के पात्र में 'काले तिल' भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें
- ॐ हुं कालेश्वराय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
- पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें
- शिवलिंग पर काले तिल की धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें
- अभिषेक करते हुए -ॐ क्षौं ह्रौं हुं शिवाय नम: का जाप करें
- शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें
7) शहद मिश्रित गंगा जल
- संतान प्राप्ति व पारिवारिक सुख-शांति हेतु शहद मिश्रित गंगा जल से अभिषेक करें
- भगवान शिव के 'चंद्रमौलेश्वर' स्वरुप का मानसिक ध्यान करें
- ताम्बे के पात्र में " शहद मिश्रित गंगा जल" भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें
- ॐ चन्द्रमसे नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
- पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय' का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें
- शिवलिंग पर शहद मिश्रित गंगा जल की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें
- अभिषेक करते हुए -ॐ वं चन्द्रमौलेश्वराय स्वाहा' का जाप करें
- शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें
8) घी व शहद
- रोगों के नाश व लम्बी आयु के लिए घी व शहद से अभिषेक करें
- भगवान शिव के 'त्रयम्बक' स्वरुप का मानसिक ध्यान करें
- ताम्बे के पात्र में 'घी व शहद' भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें
- ॐ धन्वन्तरयै नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
- पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय" का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें
- शिवलिंग पर घी व शहद की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें.
- अभिषेक करते हुए -ॐ ह्रौं जूं स: त्रयम्बकाय स्वाहा" का जाप करें
- शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें
9 ) कुमकुम केसर हल्दी
- आकर्षक व्यक्तित्व का प्राप्ति हेतु भगवान शिव का कुमकुम केसर हल्दी से अभिषेक करें
- भगवान शिव के 'नीलकंठ' स्वरूप का मानसिक ध्यान करें
- ताम्बे के पात्र में 'कुमकुम केसर हल्दी और पंचामृत' भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें - 'ॐ उमायै नम:' का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
- पंचाक्षरी मंत्र 'ॐ नम: शिवाय' का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें
- पंचाक्षरी मंत्र पढ़ते हुए पात्र में फूलों की कुछ पंखुडियां दाल दें-'ॐ नम: शिवाय'
- फिर शिवलिंग पर पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें.
- अभिषेक का मंत्र-ॐ ह्रौं ह्रौं ह्रौं नीलकंठाय स्वाहा'
- शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें
भोलेनाथ आप सभी का मंगल करें।
जय हो भोलेनाथ।
जय भोले भंडारी।
हर हर महादेव।
श्री कृष्ण शरणम ममः
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abhishek

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