फिर वक़्त वही ले आया है
जिस मोड़ से चले थे हम ,
तुम भी चले हम भी चले
पर मजिल तक कोई न पंहुचा
आओ साथ मिलकर पूरा करे यह सफ़र
न तुम हरो न हम हारे
जुदा हो मुझसे फिर भी कुछ है
जो जोड़ता है मुझसे
प्यार न सही नफरत ही सही
पर राबता रखते हो मुजसे
यूँ चुप-२ के आना छोड़ दो
बहुत हुआ अब सताना छोड़ दो
अभिषेक भटनागर
मुरादाबाद
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जिस मोड़ से चले थे हम ,
तुम भी चले हम भी चले
पर मजिल तक कोई न पंहुचा
आओ साथ मिलकर पूरा करे यह सफ़र
न तुम हरो न हम हारे
जुदा हो मुझसे फिर भी कुछ है
जो जोड़ता है मुझसे
प्यार न सही नफरत ही सही
पर राबता रखते हो मुजसे
यूँ चुप-२ के आना छोड़ दो
बहुत हुआ अब सताना छोड़ दो
अभिषेक भटनागर
मुरादाबाद
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