कुछ देर ठहर कर सपने देखने लगा मै
खुश था बहुत मै मुझको भी अपना कोई पहली बार मिला था
प्यार क्या होता है यह उसने बताया था उसने
जीवन के हर कदम पर साथ निभाया था उसने
फिर एक दिन अजीब सी हवा चली
टूट गए सारे सपने मेरे
छुट गए मेरे सारे अपने
कहते है सब मुझसे की नयी शुरुवात कर
ज़िन्दगी से फिर मुलाकात कर
पर यह शायद मेरे बस मे नहीं है
कोई नहीं है मेरे पास आज जिसके कंधे  पर जाकर रो साकू
हाँ शायद मुझको भी अब कंधेओ की ज़रूरत है ,
ना शिकवा किसी से ना शिकायत है अब
खामोश रहना आदत है अब

अकेला ही चला था मै पर राह मे कोई अपना सा लगा


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abhishek

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