September 2011
ठंडी ठंडी रातो मै जब याद मेरी आयेगी
सिमट जाऊगी मेरी यादो मै
नीद नहीं आएगी तुमको यकीं  है मुझको
चेहरा नज़र आएगा मेरा बार-२ 

तुम लाख कोहिश करो भूल ना पओगी ,
अरे मै वो हूँ जो तुम्हारी सासों मै रहता हूँ
और सासों से बैर कैसे कर पओगी

चुपी की यह  दीवार अब  तोड़ दो
और दिल के राज़ अब जुबान से बोल दो
तुमको और मुझको साथ -२ चलना है
हाथ थामो मेरा बाकि फिकर छोड़ दो

जब तुम साथ होती हो तो डर नहीं लगता ,
यह तूफान भी तूफान नहीं लगता
ज़रा सी बात पर रूठ बैठे है हमसे 
हम उनको मनाने की पुरजोर कोशिश किया करते है 

रूठना मानना चलता रहता है उम्र भर 
यह तो वो जज्बा है जो किसी किसी को नसीब होता है 

वो और होगे जो प्यार का दम भरा करते है
अरे हम तो वो है जो हर पल मैं प्यार किया करते है 
 
जानते है वो हमारे ही है 
इसलिए ही उनका इंतज़ार किया करते है ...
है उदास मन गर वतन मुश्किल मै है
सो रही सरकार या कहो गफलत मै है
कसाब ,अफजल या कोई और हो
मूख दर्शक बनकर देखते हम लाचर है
तोड़ दो यह बेड़ियाँ अब तो जबाब दो
हो गया बहुत कुछ अब तो हिसाब दो
अभिषेक भटनागर
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रास्ता अलग-अलग है पर मंजिल एक है
तुम मुझसे दुरी बना रही हो जनता हूँ मै
तुमको अच्छी तरह पहचानता हूँ मै
तुम ऐसी नहीं हो पर कुछ है जो रोकता है तुमको 
इस लिए अपने आप से दूर जा रही हो तुम
तुम जिन रास्तो पर चली हो वो शायद मेरी ही देन है
लौट आ ओ  उन रास्तो से मै वही हूँ जहाँ तुमने छोड़ा था
साथ मिलकर यह रास्ता पार करना होगा हमको
अकेले तुम भी कुछ नहीं और मै भी कुछ नहीं 
 
अभिषेक भटनागर