दिल तो  है पर शायद अहसास मर चुके है
मन से मन की बात  अब हो भी कैसे
पहरे लगा रख के  है जुबान पर और
कानो को बंद किया हुआ है  की कुछ सुन ना ले
होठ बोलना चाहते है पर शायद ज़माने से डरते है
कब तक जी पओगी एन अंधारो मै तुम
मै भी देखना चाहता हूँ
तोड़ दो गी यह यह ज़ंजीर यह विश्वास रखता हूँ
हाँ तुम्हारे हर कदम की खबर रखता  हूँ
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abhishek

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