रास्ता अलग-अलग है पर मंजिल एक है
तुम मुझसे दुरी बना रही हो जनता हूँ मै
तुमको अच्छी तरह पहचानता हूँ मै
तुम ऐसी नहीं हो पर कुछ है जो रोकता है तुमको
इस लिए अपने आप से दूर जा रही हो तुम
तुम जिन रास्तो पर चली हो वो शायद मेरी ही देन है
लौट आ ओ उन रास्तो से मै वही हूँ जहाँ तुमने छोड़ा था
साथ मिलकर यह रास्ता पार करना होगा हमको
अकेले तुम भी कुछ नहीं और मै भी कुछ नहीं
तुम मुझसे दुरी बना रही हो जनता हूँ मै
तुमको अच्छी तरह पहचानता हूँ मै
तुम ऐसी नहीं हो पर कुछ है जो रोकता है तुमको
इस लिए अपने आप से दूर जा रही हो तुम
तुम जिन रास्तो पर चली हो वो शायद मेरी ही देन है
लौट आ ओ उन रास्तो से मै वही हूँ जहाँ तुमने छोड़ा था
साथ मिलकर यह रास्ता पार करना होगा हमको
अकेले तुम भी कुछ नहीं और मै भी कुछ नहीं
अभिषेक भटनागर
bhai bahut he accha likkha hai
ReplyDeletesuperb.
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